भारत में शिक्षक दिवस केवल गुरुओं को नमन करने का दिन नहीं है, बल्कि यह उस विरासत और मूल्य का उत्सव है, जो हमारे समाज को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाता है। 5 सितम्बर को हम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती मनाते हैं, जिनका जीवन स्वयं इस बात का प्रतीक है कि एक शिक्षक सिर्फ ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला होता है।
eDishaa के नज़रिये से देखा जाए तो शिक्षक का अर्थ सिर्फ स्कूल-कॉलेज तक सीमित नहीं है।
आज के समय में शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने वाला व्यक्ति नहीं है, बल्कि वह एक काउंसलर, गाइड और प्रेरक शक्ति भी है। जैसे eDishaa में हम विवाह, परिवार और समाज के रिश्तों को पुनः संजोने का कार्य करते हैं, उसी तरह हर शिक्षक जीवन के रिश्तों को जोड़ने और संभालने में योगदान देता है।
पवन रावत (वकील और मनोवैज्ञानिक काउंसलर) के अनुभव में—
“शिक्षक होने का मतलब है जीवन में उस रोशनी का होना, जो अंधकार में भी राह दिखा सके। समाज को दिशा देना, बच्चों के मनोविज्ञान को समझना और पारिवारिक-सामाजिक मूल्यों को संभालना—यही आज के युग के सच्चे शिक्षक की भूमिका है।”
और मेरी दृष्टि से, शिक्षक की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह है कि—
👉 चाहे बच्चा किसी भी पारिवारिक ढांचे से आता हो,
👉 या उसके चारों ओर की परिस्थितियां कैसी भी हों,
उसे सही उम्र में ऐसी शिक्षा मिले जो उसे अनुकूल और प्रतिकूल दोनों स्थितियों में अपने मन को स्थिर रखने का सामर्थ्य दे।
साथ ही, एक सच्चे शिक्षक की खूबी यह भी होती है कि वह बच्चों के विवेक को जागृत करे—
ताकि वे जीवन में सही निर्णय ले सकें और एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
एक सही शिक्षक वह है जो अपने विद्यार्थियों को उनके व्यक्तित्व के प्रति जागरूक करे, उनके भीतर आत्म-साक्षात्कार की भावना जगाए, और यह सब सकारात्मक मार्गदर्शन के साथ करे। ऐसा शिक्षक अपने छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि वे कौन हैं, उनकी ताकतें क्या हैं और वे समाज में किस तरह एक सार्थक भूमिका निभा सकते हैं।
आज के परिप्रेक्ष्य में शिक्षक की भूमिका और भी बढ़ गई है। अब शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह अपने शिष्यों को केवल आधुनिक ज्ञान ही न दे, बल्कि उन्हें अपनी धरोहर और संस्कृति से भी जोड़कर रखे। वह उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शन दे कि कैसे आधुनिकता को अपनाते हुए भी हमारी संस्कृति और परंपरा में निहित मूल्य जीवन का हिस्सा बने रहें। एक सच्चा शिक्षक अपने विद्यार्थी को संस्कृति से भ्रमित नहीं होने देता, बल्कि संस्कृति को आत्मसात कर जीवन में संतुलन बनाना सिखाता है।
और सबसे महत्वपूर्ण—शिक्षक यह सुनिश्चित करता है कि विद्यार्थी पहले से बनी पूर्वधारणाओं में न फँसे। वह उन्हें वर्तमान क्षण में जीना सिखाता है, ताकि वे अतीत के बोझ और भविष्य की चिंता से मुक्त होकर जीवन को सकारात्मकता और विवेक के साथ आगे बढ़ा सकें।
ऐसी शिक्षा जो उसे राम की तरह धैर्यवान और कृष्ण की तरह विवेकपूर्ण बना सके—जहाँ कठिनाइयाँ भी उसके आत्मबल को डगमगा न सकें। यह शिक्षा केवल किताबों में नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों, मूल्यों और संतुलित सोच के माध्यम से दी जाती है। यही वह नींव है जिस पर एक सशक्त और समृद्ध समाज खड़ा होता है।
इस शिक्षक दिवस पर हम सभी शिक्षकों को नमन करते हैं, और यह प्रण लेते हैं कि हर एक व्यक्ति अपने भीतर एक ‘शिक्षक’ को जीवित रखे—जो अपने बच्चों, परिवार, मित्रों और समाज को ज्ञान, धैर्य और सकारात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने की प्रेरणा दे।
🌿 eDishaa – जीवन को नई दिशा देने का प्रयास
✍️ लेखक: पवन रावत (वकील एवं मनोवैज्ञानिक काउंसलर)
Your email address will not be published. Required fields are marked *