स्वयं पर क्रोध करना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, खासकर जब हम अपनी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते या कोई गलती कर बैठते हैं। जब, यह क्रोध लंबे समय तक बने रहता हैं तो आपके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही सिद्ध होता है। यह स्वयं के साथ किए जाने वाला नकारात्मक व्यवहार है। स्वयं पर क्रोध को समझने और उसे संभालने के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान दें:
अपने भीतर झांककर देखें कि यह क्रोध क्यों हो रहा है।
क्या यह आपके किसी निर्णय, असफलता, या अन्य की अपेक्षाओं पर खरे न उतरने से जुड़ा है?
इसका विश्लेषण करें कि आप किस चीज को बदल सकते हैं और किसे स्वीकार करना होगा।
याद रखें कि गलती करना इंसान होने का हिस्सा है।
अपनी गलतियों को एक सीखने का अवसर मानें।
स्वयं को माफ करना बहुत जरूरी है।
बार-बार पुरानी बातों को दोहराने से बचें। यह केवल दर्द बढ़ाता है।
सोचें, "अगर कोई और मेरी जगह होता, तो क्या मैं उसे माफ कर देता?"
अगर आपने गलती की है तो उसे सुधारने की दिशा में कदम उठाएं।
प्रैक्टिकल बदलाव लाने का प्रयास करें और भविष्य में बेहतर करने की योजना बनाएं।
खुद को कठोर शब्दों में कोसने की बजाय सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं।
सकारात्मक आत्म-चर्चा करें: जैसे, "मैंने गलती की, लेकिन मैं इसे सुधार सकता हूं।"
अगर खुद पर क्रोध बार-बार आता है और आपको संभालना मुश्किल लगता है, तो किसी करीबी व्यक्ति से बात करें।
थेरेपिस्ट या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से भी सलाह ले सकते हैं।
ध्यान (मेडिटेशन) करें और खुद को शांत करने के लिए समय निकालें।
ऐसी गतिविधियां करें जो आपको खुशी दें और आपको रिलैक्स करें।
यह समझें कि अतीत को बदला नहीं जा सकता।
वर्तमान और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करें।
याद रखें:
स्वयं पर क्रोध करना केवल ऊर्जा और समय की बर्बादी है। इसे एक प्रेरणा के रूप में इस्तेमाल करें और खुद को बेहतर बनाने की दिशा में बढ़ें। अपने प्रति प्यार और सहानुभूति रखें, क्योंकि यही आपको सच्ची शांति और संतोष की ओर ले जाएगा।
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