भावुकता में लिया गया निर्णय अक्सर तात्कालिक भावना के प्रभाव में होता है, जिससे उसका परिणाम लंबे समय में संतुलित या सकारात्मक नहीं होता। भावनाएँ महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारे अनुभवों और मूल्यों को दर्शाती हैं, लेकिन केवल भावनाओं के आधार पर निर्णय लेना कई बार गलत दिशा में ले जा सकता है।
उचित निर्णय के लिए संतुलन ज़रूरी है:
1. भावनाएँ + तर्क: दोनों का संयमित उपयोग करें।
2. समय लें: भावनात्मक स्थिति शांत होने पर सोचें।
3. परामर्श लें: विश्वसनीय व्यक्ति से बात करें।
4. दीर्घकालिक परिणाम सोचें: क्या यह निर्णय भविष्य में भी सही लगेगा?
निष्कर्ष:
भावुकता में निर्णय लेना उचित तभी माना जा सकता है जब वह तर्क, अनुभव और दीर्घकालिक सोच के साथ संतुलित हो। केवल भावना से लिया गया निर्णय अक्सर पछतावे का कारण बनता है।
क्या आप किसी विशेष स्थिति के संदर्भ में यह जानना चाहते हैं?
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