श्रीमद्भगवद्गीता भारतीयों के लिए सबसे पवित्र, विश्वसनीय और प्रेरणादायक ग्रंथों में से एक है। यह भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद का वर्णन करती है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को जीवन के मार्ग और कर्तव्य के बारे में उपदेश दे रहे थे। कुरुक्षेत्र में अर्जुन की स्थिति कन्फ्यूजन की थी कन्फ्यूजन की स्थिति हमेशा आपके निर्णय को बदलती है और ऐसी स्थिति में निर्णय लेना मुश्किल होता हैं और आप निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाते। eDishaa Foundation Sansthan-:श्रीमद्भागवद गीता को आधार मान कर लोगों का मार्गदर्शन करती हैं।
धन्यवाद श्री कृष्णा 🪷
श्रीमद्भगवद्गीता के मुख्य विषय:
१. धर्म और कर्तव्य
२. जीवन का उद्देश्य
३. आत्म-साक्षात्कार
४. भगवान की भक्ति
५. योग और ध्यान
६. ज्ञान और विज्ञान
७. कर्म और फल
८. मोक्ष और आत्म-मुक्ति
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय:
१. अर्जुन विषाद योग
२. सांख्य योग
३. कर्म योग
४. ज्ञान योग
५. कर्म संन्यास योग
६. आत्म संयम योग
७. ज्ञान विज्ञान योग
८. अक्षर ब्रह्म योग
९. राज विद्या राज गुह्य योग
१०. विभूति योग
११. विश्वरूप दर्शन योग
१२. भक्ति योग
१३. क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग
१४. गुण त्रिविधि भाव योग
१५. पुरुषोत्तम योग
१६. दैव आसुरि सम्पद विभाग योग
१७. श्रद्धा त्रिविधि भाव योग
१८. मोक्ष संन्यास योग
श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व:
१. जीवन के लिए मार्गदर्शन
२. आत्म-साक्षात्कार की प्रेरणा
३. भगवान की भक्ति और प्रेम
४. कर्तव्य और धर्म की समझ
५. ज्ञान और विज्ञान की प्राप्ति
६. मोक्ष और आत्म-मुक्ति का मार्ग
श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाएं हमें जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करती हैं और हमें एक अच्छा और सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
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