"आने वाला पल जाने वाला है, हो सके तो इसमें जिंदगी बिता दो, पल जो यह जाने वाला है।"
यह केवल एक गीत नहीं बल्कि जीवन का गूढ़ सत्य है। समय चलता रहता है, किसी के लिए नहीं रुकता। लेकिन क्या हमने कभी यह सोचा है कि यह विचार हमारे मन और मनोविज्ञान पर क्या प्रभाव डालता है?
जब हमें यह अहसास होता है कि हर पल बीत रहा है, तो यह हमें दो तरह की मानसिक स्थितियों में डाल सकता है—
मनोवैज्ञानिक रूप से, जब हम "प्रेजेंट मोमेंट" में जीते हैं, तो हमारा तनाव कम होता है। एकाग्रता और आनंद की अनुभूति होती है। जब हम यह मान लेते हैं कि बीता हुआ समय लौटकर नहीं आएगा और आने वाला समय अभी अस्तित्व में नहीं है, तो हम अपने वर्तमान में गहराई से डूब सकते हैं। यह हमें न केवल मानसिक रूप से संतुलित बनाता है बल्कि हमारे रिश्तों और कार्यक्षमता को भी सुधारता है।
अगर हम भविष्य की अधिक चिंता करते हैं, तो यह एंग्जायटी (anxiety) का रूप ले सकता है, और अगर हम अतीत को पकड़कर बैठे रहते हैं, तो यह डिप्रेशन का कारण बन सकता है। इसीलिए, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हमेशा "present moment awareness" की सलाह देते हैं।
ध्यान और मेडिटेशन: यह हमें वर्तमान में लाने में मदद करता है।
शुक्रगुजार होना: हर पल के लिए आभार व्यक्त करना हमें उसमें जीने की प्रेरणा देता है।
संतुलित योजना: आने वाले समय की तैयारी करें, लेकिन उसमें खो न जाएँ।
असुरक्षा को अपनाएँ: परिवर्तन ही जीवन का नियम है, इसे स्वीकार करें और अपने मन को लचीला बनाएँ।
इसलिए, समय के प्रवाह को रोकने की कोशिश मत करो—बस बहना सीखो, जीना सीखो!
FOMO Fear of Missing Out mindfulness anxiety present moment awareness ...
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