हम इंसानों में मनोलैंगिक चरण (Psychosexual Stages) सिगमंड फ्रायड द्वारा प्रस्तुत एक सिद्धांत है जो मानव विकास के विभिन्न चरणों में व्यक्ति की मनोलैंगिक आवश्यकताओं और उनके प्रभावों का वर्णन करता है। यह सिद्धांत यह बताता है कि व्यक्ति का विकास पांच चरणों में होता है, जिनमें से प्रत्येक चरण में व्यक्ति की मनोलैंगिक आवश्यकताएं और उनके प्रभाव अलग-अलग होते हैं।
मनोलैंगिक चरणों के नाम और उनके विवरण निम्नलिखित हैं:
मौखिक चरण (Oral Stage):
यह चरण जन्म से लेकर लगभग 18 महीने तक रहता है। इस चरण में, व्यक्ति की मुख्य आवश्यकता भोजन और पोषण होती है।
गुदा चरण (Anal Stage):
यह चरण लगभग 18 महीने से लेकर 3 वर्ष तक रहता है। इस चरण में, व्यक्ति की मुख्य आवश्यकता शौचालय जाना और स्वच्छता बनाए रखना होती है।
लिंग चरण (Phallic Stage):
यह चरण लगभग 3 वर्ष से लेकर 6 वर्ष तक रहता है। इस चरण में, व्यक्ति की मुख्य आवश्यकता अपने लिंग की पहचान करना और उसके साथ संबंध बनाना होता है।
दमन चरण (Latency Stage):
यह चरण लगभग 6 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक रहता है। इस चरण में, व्यक्ति की मुख्य आवश्यकता अपने समाज और संस्कृति के नियमों और मूल्यों को सीखना और उनका पालन करना होता है।
जनन चरण (Genital Stage):
यह चरण लगभग 12 वर्ष से लेकर वयस्कता तक रहता है। इस चरण में, व्यक्ति की मुख्य आवश्यकता अपने यौन और प्रजनन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना होता है।
यह सिद्धांत यह बताता है कि व्यक्ति का विकास इन चरणों में होता है, और प्रत्येक चरण में व्यक्ति की मनोलैंगिक आवश्यकताएं और उनके प्रभाव अलग-अलग होते हैं।
Psychosexual Stages - Oral Stage Anal Stage Phallic Stage Latency Stage Genital Stage - ...
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