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When should a woman use section 498A of IPC

March 28, 2025 0 comments

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A का उद्देश्य महिलाओं को वैवाहिक जीवन में उत्पीड़न से बचाना है। लेकिन इस धारा का प्रयोग सावधानी और सही परिस्थिति में ही करना चाहिए। इस धारा का इस्तेमाल निम्नलिखित स्थितियों में किया जाना चाहिए:

1. दहेज के लिए उत्पीड़न (Harassment for Dowry)

यदि पति या ससुराल पक्ष बार-बार दहेज की मांग कर रहे हों और इसके लिए महिला पर मानसिक या शारीरिक रूप से अत्याचार कर रहे हों, तो धारा 498A का उपयोग किया जा सकता है।

2. शारीरिक या मानसिक हिंसा (Physical or Mental Cruelty)

यदि महिला के साथ शारीरिक मारपीट, गाली-गलौज, धमकी, या मानसिक प्रताड़ना हो रही हो, तो यह भी इस धारा के तहत आता है।

3. आत्महत्या के लिए उकसाना (Abetment to Suicide)

अगर महिला को इतना प्रताड़ित किया जा रहा हो कि वह आत्महत्या करने की स्थिति में पहुंच जाए या उसे आत्महत्या के लिए उकसाया जा रहा हो, तो यह धारा लागू हो सकती है।

4. जब विवाहिक जीवन असहनीय हो जाए (Intolerable Cruelty)

यदि पति या ससुराल पक्ष का व्यवहार महिला के लिए इतना अमानवीय हो जाए कि उसका मानसिक संतुलन प्रभावित हो रहा हो और वह सामान्य जीवन नहीं जी पा रही हो, तो यह मामला धारा 498A के तहत आ सकता है।

⚖️ कब नहीं करना चाहिए:

  • व्यक्तिगत झगड़े या नाराजगी में इस धारा का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
  • यदि ससुराल पक्ष में कोई गंभीर उत्पीड़न नहीं हुआ है और विवाह को बचाने की संभावना हो, तो काउंसलिंग या मध्यस्थता का सहारा लेना चाहिए।

महत्वपूर्ण सलाह:

  • इस धारा का उपयोग तभी करें जब आपके पास उत्पीड़न के ठोस सबूत हों।
  • शिकायत दर्ज कराने से पहले कानूनी सलाह अवश्य लें, ताकि मामले का सही मार्गदर्शन मिल सके।
  • झूठी शिकायत से बचें, क्योंकि इससे न केवल परिवार को नुकसान होता है, बल्कि असली पीड़ितों का भी विश्वास कम होता है।

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