पति द्वारा पत्नी की उपेक्षा कई तरीकों से हो सकती है। यह भावनात्मक, शारीरिक, या मानसिक रूप में हो सकती है। कुछ सामान्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
पत्नी की भावनाओं और जरूरतों की अनदेखी करना।
उसके साथ समय न बिताना या उसकी बातों में रुचि न दिखाना।
किसी समस्या पर बात करने से बचना या उसकी परेशानियों को महत्व न देना।
सराहना या प्रशंसा न करना।
पत्नी से बात करने में रुचि न दिखाना।
उसकी राय को महत्व न देना।
अपने विचार या भावनाएं साझा न करना।
बहस से बचने के लिए बातचीत पूरी तरह से बंद कर देना।
शारीरिक संबंध बनाने में रुचि न दिखाना।
एक साथ समय बिताने या करीब रहने से बचना।
पत्नी की वित्तीय जरूरतों को नजरअंदाज करना।
उसकी आर्थिक स्वतंत्रता पर रोक लगाना।
पारिवारिक निर्णयों में उसकी भूमिका को अनदेखा करना।
पत्नी के कार्यों या प्रयासों की आलोचना करना।
बार-बार उसकी तुलना दूसरों से करना।
अपमानजनक भाषा का उपयोग करना।
सामाजिक या पारिवारिक कार्यक्रमों में उसकी उपस्थिति को महत्व न देना।
दोस्तों या रिश्तेदारों के सामने उसकी अनदेखी करना।
अपने दोस्तों, काम, या शौक को प्राथमिकता देना लेकिन पत्नी को समय न देना।
परिवार या बच्चों के मामलों में उसे शामिल न करना।
अन्य रिश्तों या काम को पत्नी से अधिक महत्व देना।
किसी तरह की नकारात्मक तुलना या भेदभाव करना।
अगर इनमें से कोई भी व्यवहार दिखाई देता है, तो यह संकेत हो सकता है कि पति द्वारा पत्नी की उपेक्षा की जा रही है। इसे सुलझाने के लिए खुली बातचीत और समझदारी से कदम उठाना जरूरी है।
यदि पति द्वारा पत्नी की उपेक्षा में उसके माता-पिता (सास-ससुर) भी शामिल हों, तो स्थिति और जटिल हो सकती है। यह परिवार की सामंजस्यता और पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। ऐसी स्थिति में इन बातों का ध्यान रखना और समाधान की ओर कदम उठाना जरूरी है:
पता करें कि सास-ससुर का व्यवहार क्यों ऐसा है।
क्या यह पुरानी सोच या पारिवारिक परंपराओं का प्रभाव है?
क्या वे आपको ठीक से समझने का मौका नहीं दे रहे हैं?
क्या पति का अपने माता-पिता के प्रति अत्यधिक झुकाव इस उपेक्षा का कारण है?
पहले पति से इस बारे में बात करें। बिना आरोप लगाए अपनी भावनाओं को व्यक्त करें।
सास-ससुर के सामने भी शांत और सम्मानजनक तरीके से अपनी बात रखें।
सास-ससुर को अपनी सकारात्मक बातों और योगदानों से प्रभावित करें।
उनके साथ जुड़ने का प्रयास करें।
उनके विचारों और परंपराओं का सम्मान करें, लेकिन अपने आत्म-सम्मान से समझौता न करें।
पति को यह समझने में मदद करें कि पत्नी और माता-पिता दोनों के प्रति उनकी जिम्मेदारियां हैं।
अगर वे माता-पिता के दबाव में आकर आपकी अनदेखी कर रहे हैं, तो उन्हें यह अहसास कराएं कि यह उनके रिश्ते के लिए हानिकारक हो सकता है।
अगर समस्या गंभीर है और आपसी बातचीत से हल नहीं हो रही है, तो परिवार के किसी बुजुर्ग या सम्मानित सदस्य से बात करें।
पेशेवर विवाह काउंसलर या मनोवैज्ञानिक की मदद लें।
अपनी खुशी और आत्मसम्मान को प्राथमिकता दें।आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वयं को मजबूत बनाएं।
अपनी रुचियों और शौक पर ध्यान दें।
अगर सास-ससुर का हस्तक्षेप बहुत ज्यादा हो रहा है, तो पति के साथ मिलकर सीमाएं तय करें।
यह स्पष्ट करें कि आप सम्मान की अपेक्षा करती हैं और किसी भी अनुचित व्यवहार को स्वीकार नहीं करेंगी।
अगर बार-बार के प्रयासों के बावजूद समस्या बनी रहती है और आपका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, तो खुद के लिए सही निर्णय लेने पर विचार करें।
जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता लें।
यह स्थिति कठिन हो सकती है, लेकिन धैर्य और समझदारी से काम लें। आपकी मानसिक और भावनात्मक भलाई सबसे महत्वपूर्ण है।
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