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महीने का पंद्रहवां दिन_पूर्णिमा

October 15, 2024 0 comments

पूर्णिमा सनातन पंचांग के अनुसार महीने के दो पक्षों में से एक पक्ष की पूर्णता का दिन है। यह दिन चंद्रमा की पूर्णता का प्रतीक है, जब चंद्रमा अपनी पूरी शक्ति और सुंदरता के साथ दिखाई देता है।

शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते हैं। वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनमें से ही सबसे महत्वपूर्ण दिन है पूर्णिमा। सभी का अलग-अलग महत्व है। पूर्णिमा और अमावस्या के प्रति बहुत से लोगों में डर है।

क्या होता है पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार- भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है।

पूर्णिमा का महत्व:

१. चंद्रमा की पूजा: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है।
२. भगवान की पूजा: पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
३. स्नान और दान: पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का महत्व है।
४. उपवास: पूर्णिमा के दिन उपवास करने से आध्यात्मिक लाभ होता है।
५. सामाजिक कार्यक्रम: पूर्णिमा के दिन सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

वैसे तो सभी पूर्णिमा के नाम महीनों के नाम पर ही रखे गए हैं जैसे चैत्र माह की चैत्र पूर्णिमा और फाल्गुन माह की फल्गुन पूर्णिमा। परंतु कुछ पूर्णिमाओं को विशेष नामों से जाना जाता है। सभी पूर्णिमा का महत्व भी अलग अलग होता है।

गुरु पूर्णिमा: गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान
शरद पूर्णिमा: फसल के मौसम का जश्न मनाती है
लक्ष्मी पूर्णिमा: देवी लक्ष्मी को समर्पित
कार्तिक पूर्णिमा: कार्तिक माह के अंत का प्रतीक है

पूर्णिमा के लाभ:

१. आध्यात्मिक लाभ
२. मानसिक शांति
३. स्वास्थ्य लाभ
४. सामाजिक संबंधों में सुधार
५. आर्थिक लाभ

पूर्णिमा के दिन क्या न करें:

१. क्रोध न करें
२. झूठ न बोलें
३. चोरी न करें
४. हिंसा न करें
५. अपशब्द न बोलें

पूर्णिमा और चंद्रमा का प्रभाव सनातन संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। चंद्रमा की गति के अनुसार पूर्णिमा का दिन निर्धारित किया जाता है।

चंद्रमा का प्रभाव पूर्णिमा पर:

१. चंद्रमा की शक्ति: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूरी शक्ति के साथ दिखाई देता है।
२. मानसिक प्रभाव: चंद्रमा की शक्ति से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
३. भावनात्मक प्रभाव: चंद्रमा की शक्ति से भावनाएं स्थिर और संतुलित होती हैं।
४. आध्यात्मिक प्रभाव: चंद्रमा की शक्ति से आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
५. शारीरिक प्रभाव: चंद्रमा की शक्ति से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा के लाभ:

१. मानसिक शांति
२. आध्यात्मिक जागरूकता
३. स्वास्थ्य लाभ
४. सामाजिक संबंधों में सुधार
५. आर्थिक लाभ

पूर्णिमा का मनोवैज्ञानिक प्रभाव व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यहाँ कुछ मनोवैज्ञानिक प्रभाव हैं:

सकारात्मक प्रभाव:

१. मानसिक शांति: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से मानसिक शांति मिलती है।
२. भावनात्मक स्थिरता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से भावनाएं स्थिर और संतुलित होती हैं।
३. आत्मविश्वास: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से आत्मविश्वास बढ़ता है।
४. आध्यात्मिक जागरूकता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
५. सामाजिक संबंधों में सुधार: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से सामाजिक संबंधों में सुधार होता है.

नकारात्मक प्रभाव:

१. भावनात्मक उतार-चढ़ाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से भावनात्मक उतार-चढ़ाव हो सकता है।
२. मानसिक तनाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से मानसिक तनाव हो सकता है।
३. आत्म-संदेह: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से आत्म-संदेह हो सकता है।
४. भावनात्मक अस्थिरता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से भावनात्मक अस्थिरता हो सकती है।
५. सामाजिक संबंधों में तनाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से सामाजिक संबंधों में तनाव हो सकता है.

पूर्णिमा के दिन मनोवैज्ञानिक लाभों को बढ़ाने के लिए:

१. ध्यान और योग करें।
२. चंद्रमा की पूजा करें।
३. सकारात्मक विचारों को अपनाएं।
४. आत्म-मूल्यांकन करें।
५. सामाजिक संबंधों में सुधार के लिए प्रयास करें।

पूर्णिमा का महिलाओं पर प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ प्रभाव हैं:

सकारात्मक प्रभाव:

१. मानसिक शांति: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं को मानसिक शांति मिलती है।
२. भावनात्मक स्थिरता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं की भावनाएं स्थिर और संतुलित होती हैं।
३. आत्मविश्वास: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ता है।
४. सामाजिक संबंधों में सुधार: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं के सामाजिक संबंधों में सुधार होता है।
५. आध्यात्मिक जागरूकता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं की आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है.

नकारात्मक प्रभाव:

१. भावनात्मक उतार-चढ़ाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं को भावनात्मक उतार-चढ़ाव हो सकता है।
२. मानसिक तनाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं को मानसिक तनाव हो सकता है।
३. आत्म-संदेह: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं को आत्म-संदेह हो सकता है।
४. भावनात्मक अस्थिरता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं को भावनात्मक अस्थिरता हो सकती है।
५. सामाजिक संबंधों में तनाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से महिलाओं के सामाजिक संबंधों में तनाव हो सकता है।

पूर्णिमा के दिन महिलाओं के लिए टिप्स:

१. ध्यान और योग करें।
२. चंद्रमा की पूजा करें।
३. सकारात्मक विचारों को अपनाएं।
४. आत्म-मूल्यांकन करें।
५. सामाजिक संबंधों में सुधार के लिए प्रयास करें।

पूर्णिमा के दिन महिलाओं के लिए मंत्र:

१. ॐ नमो नारायण
२. ॐ शांति शांति शांति
३. ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
४. ॐ चंद्राय नमः
५. ॐ शशिनाथाय नमः

पूर्णिमा का पुरुषों पर प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ प्रभाव हैं:

सकारात्मक प्रभाव:

१. मानसिक शांति: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों को मानसिक शांति मिलती है।
२. भावनात्मक स्थिरता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों की भावनाएं स्थिर और संतुलित होती हैं।
३. आत्मविश्वास: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों का आत्मविश्वास बढ़ता है।
४. सामाजिक संबंधों में सुधार: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों के सामाजिक संबंधों में सुधार होता है।
५. आध्यात्मिक जागरूकता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों की आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है.

नकारात्मक प्रभाव:

१. भावनात्मक उतार-चढ़ाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों को भावनात्मक उतार-चढ़ाव हो सकता है।
२. मानसिक तनाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों को मानसिक तनाव हो सकता है।
३. आत्म-संदेह: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों को आत्म-संदेह हो सकता है।
४. भावनात्मक अस्थिरता: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों को भावनात्मक अस्थिरता हो सकती है।
५. सामाजिक संबंधों में तनाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति से पुरुषों के सामाजिक संबंधों में तनाव हो सकता है.

पूर्णिमा के दिन पुरुषों के लिए टिप्स:

१. ध्यान और योग करें।
२. चंद्रमा की पूजा करें।
३. सकारात्मक विचारों को अपनाएं।
४. आत्म-मूल्यांकन करें।
५. सामाजिक संबंधों में सुधार के लिए प्रयास करें।

पूर्णिमा के दिन पुरुषों के लिए मंत्र:

१. ॐ नमो नारायण
२. ॐ शांति शांति शांति
३. ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
४. ॐ चंद्राय नमः
५. ॐ शशिनाथाय नमः

महत्वपूर्ण बात : पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है। कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं। इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है। जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। ऐसे व्यक्‍तियों पर चन्द्रमा का प्रभाव गलत दिशा लेने लगता है। इसलिए हम ज्यादातर पूर्णिमा से एक दिन पहले और एक दिन बाद तक जागरूक रहने की सलाह देते हैं।

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