“यदि शादी से पहले रिश्ते रहे हों, तो शादी के बाद उन रिश्तों का क्या प्रभाव पड़ता है?”
यह सवाल सिर्फ नैतिक या सामाजिक नहीं, बल्कि भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और वैवाहिक जीवन की गहराई से भी जुड़ा होता है।
नीचे इस प्रभाव को कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं में बाँट कर समझते हैं:
पूर्व प्रेम संबंध की स्मृतियाँ
अगर पूर्व रिश्ता बहुत गहरा था, तो शादी के बाद भी उसकी यादें या तुलना बनी रह सकती है। इससे वर्तमान रिश्ते में भावनात्मक दूरी, असंतोष या unrealistic expectations पैदा हो सकती हैं।
गिल्ट या पछतावा
अगर किसी ने अपने साथी से पूर्व रिश्ते की बात छुपाई हो, तो शादी के बाद कभी भी गिल्ट या डर सताने लगता है कि “अगर पता चल गया तो क्या होगा?”
अप्रभावित रहना भी संभव है
अगर व्यक्ति मानसिक रूप से उस रिश्ते से पूरी तरह उबर चुका है और closure मिल चुका है, तो उसका विवाहिक जीवन पर नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
विश्वास का मुद्दा
यदि साथी को पूर्व रिश्ते का पता चलता है, और अगर वह खुलकर साझा नहीं किया गया था, तो यह विश्वासघात जैसा लग सकता है।
ईर्ष्या या असुरक्षा
कुछ साथी बार-बार पूर्व रिश्ते की तुलना करने लगते हैं, या असुरक्षित महसूस करते हैं कि “वह अब भी भावनात्मक रूप से जुड़ा तो नहीं है?”
समझदार साथी समर्थन भी दे सकता है
अगर रिश्ते की नींव पारदर्शिता और समझ पर बनी हो, तो साथी यह समझ सकता है कि अतीत, अतीत है – और दोनों भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
संवाद की गुणवत्ता
यदि दोनों के बीच खुलापन और भावनात्मक सुरक्षा है, तो पूर्व रिश्ते का प्रभाव न्यूनतम होता है।
यौन जीवन
अगर पूर्व रिश्ता शारीरिक रहा हो और वर्तमान साथी को इस पर आपत्ति हो, तो यौन संबंधों में भी तनाव उत्पन्न हो सकता है।
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